प्रधानमंत्री कुसुम योजना: सोलर पंप पर 90% सब्सिडी की जानकारी Government Scheme
प्रधानमंत्री कुसुम योजना (PM Kusum Yojana): सोलर पंप पर 90% सब्सिडी
प्रधानमंत्री कुसुम योजना के तहत सरकार किसानों को सोलर पंप खरीदने पर 90% तक की सब्सिडी दे रही है। यह योजना किसानों की आय बढ़ाने और ग्रामीण इलाकों में ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए शुरू की गई है। सोलर पंप के इस्तेमाल से किसान डीजल और बिजली पर निर्भरता कम कर सकते हैं, जिससे सिंचाई की लागत घटती है और पर्यावरण को भी फायदा होता है।
योजना का परिचय
प्रधानमंत्री कुसुम योजना (Pradhan Mantri Kusum Yojana) को भारत सरकार के नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) ने शुरू किया है। इसका मुख्य उद्देश्य किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाना और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देना है। योजना के तीन मुख्य घटक हैं:
- कम्पोनेंट-A: 2 मेगावाट तक के सोलर पावर प्लांट की स्थापना।
- कम्पोनेंट-B: 20 लाख सोलर पंपों की स्थापना।
- कम्पोनेंट-C: 15 लाख ग्रिड-कनेक्टेड कृषि पंपों का सोलराइजेशन।
इस योजना का उद्देश्य किसानों को सिंचाई के लिए सस्ती और विश्वसनीय सोलर ऊर्जा उपलब्ध कराना है।
प्रधानमंत्री कुसुम योजना के उद्देश्य
- नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा: योजना के तहत सोलर ऊर्जा से खेती में डीजल और बिजली पर निर्भरता कम की जाती है। इससे भारत के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों में मदद मिलती है।
- किसानों की आय में वृद्धि: किसान सोलर प्लांट से पैदा हुई अतिरिक्त बिजली को ग्रिड में बेच सकते हैं। इससे उनकी आमदनी बढ़ सकती है।
- पर्यावरण संरक्षण: सोलर पंप और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करके ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम किया जा सकता है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में ऊर्जा सुरक्षा: यह योजना ग्रामीण और दूर-दराज के क्षेत्रों में भी स्थिर बिजली की पहुंच सुनिश्चित करती है।
प्रधानमंत्री कुसुम योजना की मुख्य विशेषताएँ
- सब्सिडी और वित्तीय सहायता: सरकार सोलर पंप और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा उपकरणों की स्थापना पर 90% तक की सब्सिडी देती है। केंद्र और राज्य सरकार मिलकर 60% सब्सिडी देती हैं, जबकि किसान को केवल 40% राशि चुकानी होती है। इसे किसान लोन लेकर भी चुका सकते हैं।
- विकेंद्रित सोलर पावर प्लांट: किसान, सहकारी संस्थाएँ और पंचायतें अपनी खाली या बंजर जमीन पर छोटे सोलर पावर प्लांट लगा सकते हैं। इससे उत्पादित बिजली को स्थानीय डिस्कॉम (Distribution Company) को बेचकर स्थिर आय अर्जित की जा सकती है।
- स्टैंडअलोन सोलर पंप: योजना के तहत उन क्षेत्रों में सोलर पंप लगाए जाते हैं, जहां बिजली की कनेक्टिविटी सीमित है। इससे डीजल पंप पर निर्भरता घटती है और किसानों का खर्च कम होता है।
- ग्रिड से जुड़े पंपों का सोलराइजेशन: जिन पंपों की बिजली ग्रिड से जुड़ी है, उन्हें सोलराइज किया जाता है। इससे किसान अपनी बिजली खुद पैदा कर सकते हैं और ग्रिड पर निर्भरता घटती है। अतिरिक्त बिजली को ग्रिड में बेचकर अतिरिक्त आय भी हो सकती है।
- पर्यावरणीय लाभ: सोलर ऊर्जा के इस्तेमाल से पर्यावरण को भी फायदा होता है। इससे डीजल और कोयले पर निर्भरता घटती है और कार्बन उत्सर्जन कम होता है।
प्रधानमंत्री कुसुम योजना के लिए पात्रता
- किसान और समूह: व्यक्तिगत किसान, किसानों के समूह, पंचायत, सहकारी संस्थाएँ और किसान उत्पादक संगठन (FPO) इस योजना के लिए आवेदन कर सकते हैं।
- जमीन की आवश्यकता: आवेदन करने वाले के पास उस जमीन का मालिकाना हक होना चाहिए, जहाँ सोलर पंप या प्लांट लगाया जाएगा। बंजर या खाली जमीन को प्राथमिकता दी जाती है।
- वित्तीय क्षमता: किसानों को अपने हिस्से की लागत चुकाने में सक्षम होना चाहिए, चाहे वह अपनी बचत से हो या लोन लेकर।
प्रधानमंत्री कुसुम योजनाओं के लिए आवेदन कैसे करें
- आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं: किसान इस योजना के लिए नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) या राज्य सरकार की वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं।
- आवेदन पत्र भरें: आवेदन फॉर्म में अपनी व्यक्तिगत जानकारी, जमीन का विवरण और सोलर इंस्टालेशन का प्रकार भरें।
- जरूरी दस्तावेज अपलोड करें: किसान को अपनी जमीन के कागजात, पहचान पत्र (आधार कार्ड, पैन कार्ड), बैंक की जानकारी और पासपोर्ट साइज फोटो अपलोड करना होता है।
- आवेदन सबमिट करें: सभी जानकारी भरने के बाद आवेदन ऑनलाइन जमा करें।
- जाँच और स्वीकृति: आवेदन की समीक्षा के बाद अधिकारी जाँच करते हैं। मंजूरी मिलने पर सोलर पंप या प्लांट की स्थापना शुरू हो जाती है।
प्रधानमंत्री कुसुम योजना किसानों को आर्थिक और पर्यावरणीय लाभ देती है। इससे उनकी आय बढ़ती है, और उन्हें सिंचाई के लिए सस्ती और टिकाऊ बिजली मिलती है।
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